खेल

Rashtra Sevika Samiti    06-Feb-2013
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शारीरिक अभ्यासक्रम में खेलों का एक विशेष महत्व है। खेलने से शरीर तथा बुद्धि का विकास होता है, मन का उत्साह बढता है और बौद्धिक क्षमताओंका विकास भी होता है। शाखा में लिये जाने वाले खेलों मनोरंजन के साथ साथ विजय की आकांक्षाएँ, खिलाडी वृत्ति, साहस, कल्पना-शक्ति, समरसता, सांघिकता, प्रामाणिकता, नेतृत्व, गति, समस्याओं सें उभरने का स्वभाव जैसे गुणोंका विकास होता है।  खेलोंके माध्यम से हम देश, इतिहास, परंपरा,शास्त्र जैसे विषयों की जानकारी भी प्राप्त करते है।
भारतीय जीवनपद्धति में मनोरंजन भी उद्देशपूर्ण है।  प्राचीन काल में विजय पानेवाली को जीवित हो गयी और हारनेवाली को भर गयी ऐसे शब्दप्रयोग किये जाते थे। अर्थात प्रकृति के जन्म-मरण के सिद्धान्त का परिचय खेल जैसे सुलभ माध्यम से समझाया जाता था। उदा- नदी किनारा इस खेलमें जीवात्मा की यात्रा का परिचय होता है।  स्वकर्म से डुबता है और परमात्मा की कृपा से बाहर आता है।  राष्ट्रभक्ति के कार्य में कूदना और शqक्त संचय के लिये फिर से बाहर आना।  खेलों की महत्ता को एक कवि ने इस प्रकार प्रस्तुत किया है।
खेलोें में है अद्भूत क्षमता, बढती है आपस में ममता, अटूट साहस, धीरज, समता,संस्कारोंसे रूप निखरता इन्ही गुणोंसे जीत सकेंगे, जीवन भर के खेल।
इन खेलों के आधार पर आप नये खेलोंका निर्माण कर सकती हैं।
यहाँ छ: प्रकार के खेलोंका विवरण इस प्रकार है।


१) मंडल खेल २) द्वि मंडल के खेल ३) दो दलोें के खेल ४) बौद्धिक खेल ५) सर्व श्रेष्ठ की विजय ६) साधन युक्त खेल
 
मंडल के खेल

१) समिति कहती है
सेविकाएँ मंडल में खडर होंगी शिक्षिका के ‘समिति कहती है- दौडोङ्क, तो दौडेगी, ‘समिति कहती है रूकोङ्क- तो रूकेगी। समिति कहे बिना यदि केवल ‘चलोंङ्क कहने पर चलने लगेंगी तो उन्हें पराजित माना जायेगा।  अर्थात समिति के कहने पर ही कृति करनी है।  खेल की समाप्ति तक रहनेवाली सेविका विजयी कहलायेगी।

२) नमस्ते जी
सेविकाएँ मंडल में अंदर की ओर मूह करके खडी रहेगी। ‘कङ्क (एक) सेविका मंडल के बाहर दौडती हुई, ‘खङ्क (किसी भी सेविका) की पीठ को स्पर्श करके आगे दौडेगी। ‘खङ्क सेविका ने विपरीत दिशा में दौडना है। जहाँ वे दोनो मिलेंगी वहाँ हाथ जोडकर ‘नमस्ते जीङ्क कहना और फिर से दौडना हंै। ‘खङ्क के स्थान पर दोनों में से जो पहले पहुचेंगी वह विजयी कहलायेगी। पराजित खिलाडी ने फिर से खेल प्रारंभ करना है।
(जीवन में विजयी होना ही लक्ष है। पराजय से निराश न हो कर आगे बढनें में ही सफलता है।

३) तांडव नृत्य
रेखांकित मंडल के अंदर सभी सेविकायें हाथ पीछे बांधकर खडीं होगी। शिक्षिका ने सीटी बजानें पर सेविकाओंने स्वयं का बचाव करते हुए दुसरी के पैर पर पैर रखने का प्रयास करना। जिसके पैर पर दूसरे सेविका का पैर आयेगा वह पराजित मानी जायेगी। अंत तक खेलनेवाली सेविका विजयी कहलायेगी।

४) नदी -किनारा
मंडल में सेविकाएँ अंदर की ओर मुंह करके खडी होगी। शिक्षिका के ‘नदीङ्क कहने पर भीतर और ‘किनाराङ्क कहने पर बाहरकी और छलांग लगाएंगी। शिक्षिका जो आज्ञा देगी वही काम करना है। ठीक करनेवाली सेविकाएं विजयी कहलायेगी।

५) गंगा- यमुना- सरस्वती
मंडल में खडी सेविकाओं ने क्रमश: गंगा-यमुना-सरस्वती नाम बताने है। शिक्षिका, गंगा-यमुना-सरस्वती कहते-कहते किसी एक का नाम का उच्चरण करेगी। उस नामवाली सेविकाओंने मंडल के बाहर से दौड लगा कर अपने -अपने स्थान पर पहुँचना है। अंत में पहुँचनेवाली सेविका खेल का संचालन करेगी, उसका स्थान शिक्षिका ने लेना है।

६) मेरी गाडी चली शाखा स्थान पर
सभी सेविकाएं मंडलमें दौडेगी। शिक्षिका ने बतायी पंक्तियां को दोहराते हुए निम्न कृति करनी है
शिक्षिका ........सेविका......... कृति.........मेरी गाडी चली शाखा स्थान पर दोहराना दाहिनी ओर से
मेरी गाडी चली संपर्कस्थान पर  दौडना
दोहराना पलटकर बायी दौडना
मेरी गाडी कभी न रूकती काम से...दोहराना  पलटकर दायी ओर दौडते हुए हाथों को उपर की ओर कैची के आकार में घुमाना।     
मैने ध्वज फहराया बडी शान से स्थिर स्थिति में दाहिना हाथ उँचा उठायें दायें-बायें हिलाना
पंक्तियों का क्रम बदल कर भी बता सकते है। सही कृति करनेवाली बहने विजयी कहलायेगी।

७) कृष्णा रामा गोqवदा
सेविकाएं मंडल में भजन की पंक्ति को दोहराते हुए एक पैर उँचा उठाकर कूदते-गाते-ताली बजातें आगे बढेगी। शिक्षिका उपर्युक्त नामोंसे (कृष्णा, रामा, गोqवदा) किसी एक नाम का उच्चारण करेगी।  सभी सेविकाओंने अनुरूप कृति करनी है। जिनकी कृति ठीक होगी वे विजयी कहलायेगी। भजन की पंक्तियां नीचे दी गयी है।
कृष्णा रामा गोqवदा हरि राम कृष्ण गोqवदा
कृष्णा केशव गोqवद हरि-हरि राम कृष्ण गोqवदा ।।१।।
नंद-नंदन गोqवदा हरि राम कृष्ण गोqवदा
नवनीत चोरा गोqवदा हरि-हरि राम कृष्ण गोqवदा ।।२।।
वेणु-विलोला गोqवदा हरि राम कृष्ण गोqवदा
विजय गोपाला गोqवदा हरि राम कृष्ण गोqवदा ।।३।।

८) मेरे पीछे आओ
मंडल में खडी सेविकायें अपने पास एक वृत्त (घर) बनायेंगी। दौडने वाली सेविकाओं का कोई घर नही होगा।‘कङ्क सेविका मंडल के बाहर से दौडती हुई जिस सेविका को स्पर्श करके ‘मेरे पीछे आओङ्क कहेगी, उसने अपना घर छोडकर ‘खङ्क सेविका के पीछे दौडना है। मंडल में खडी सभी सेविकाओं को ‘खङ्कसेविका क्रमश: स्पर्श करती जायेगी। २-४ चक्कर लगाने के पश्चात ‘कङ्क सेविका ‘अपने घर जाओङ्क कहेगी तब सभीने किसी भी वृत्त में खडे होना है। जिसे वृत्त नहीं मिलेगा उसने खेल को आगे बढाना है।

९) मुसंडी - सिर से स्पर्श करना
     हाथी की सुंड (हात से बनाकर) से छुना
रेखांकित मंडल मे सेविकाये रेखा पर खडी रहेंगी | उन सेविकाओ मे से पांच सेविकाये मंडल के अंदर जायेगी| एक सेविका छुनेवाली रहेगी| ये चार बाद होने पर अन्य चार इसी प्रकार से जायेंगी |छुनेवाली थकने पर या गलती करने पर उसके स्थान पर क्रम से दुसरी आती जायेगी |
 
१०) मूर्ती
सभी सेविकाये मंडलाकार दौडेगी| शिक्षिका विभिन्न उद्घोष देते हुए अचानक बीच मे जोर से मूर्ती कहेगी| इस पर सभी सेविकाये मूर्तीवत स्थिर खडी हो जायेंगी |जो सेविकाये हिलती दिखाई दि या बीच मे हस रही हो तो वह खेल से बाहर हो जायेगी| कुरु कहने पर फिर सब दौडने लगेंगी |सबसे अंत तक बचने वाली विजयी होगी |
 
११ संकेत (लाल, हरा, पिला)
शिक्षिका की सिटी बजाने पर सभी सेविकाये मंडल मे दौडेंगी |शिक्षका के लाल कहने पर रुखना है | पिला कहने पर चलना है | और हरा कहने पर दौडना है | इसके विपरीत कृती करने वाली बहने मंडल से बाहर हो जायेगी | इन संकेत को बदल कर भी बता सकते है | सही कृती करने वाली सेविकाये विजयी कहलायेगी | [नियमों का पालन व्यवस्था को बनाये रखने के लिए आवश्यक है इसका संस्कार खेल के माध्यम से भी किया जा सकता है| 
 
१२ ) संगठन में शक्ती है
सभी सेविकाये मंडल में खडी होंगी| एक एक क्रमशः निकलती जायेगी और `संघटन मे शक्ती है´ इस प्रकार एक श्वास मे बोलती जायेगी और दौड कर अपने स्थान पर आयेगी| मंडल को एक परिक्रमा लगाने के बाद एक पद प्रतिसर करके मंडल बडा करना है |इसी प्रकार मंडल को बढाते हुए अथवा दो परिक्रमा करने के लिए बताना| दम छूटने से खेल से बाहर होंगे| जो सेविका खेल के अंत तक रहेगी वह विजयी होगी |
 
१३) *स्वर्ग* *पृथ्वी* *पाताल*
सभी सेविकाये रेखांकित मंडल पर दोडती जायेंगी| शिक्षिका जोर से कहेगी पाताल तब सभी ने कमर से झुककर अपने अंगुठे पकडने है| पृथ्वी बोलने पर कमर पर हाथ रखना | स्वर्ग बोलने पर सिर पर हाथ रखना| पुनः सिटी बजने पर दौडना प्रारंभ करना| जो सेविकाये गलत काम करेगी वह खेल से बाहर होगी |
 

द्वि मंडल खेल
१) जोडी बनाओ
मंडल में खडी सेविकाओं का गण विभाग देकर दो मंडल बनाने है। क्रमांक १-२ सेविकाओंकी जोडी बनेगी। बाह्य बाह्य मंडल दक्षिणवृत्त और अंतर्मंडल वामवृत करेगा। सीटी बजनेपर या ‘कुरूङ्क कहने पर सेविकाएं दौडेगी। दुसरी सीटी पर या ‘स्तंभङ्क कहने पर अपने सहकारी का हात पकड कर नीचे बैठना है। अंत में बैठनेवाली जोडी पराजित कहलायेगी। खेल फिर से शुरू होगा। अंतिम शेष जोडी विजयी होगी।

२) शक्ति संचय
‘कङ्क और ‘खङ्क गट आमने-सामने कुछ दूरी पर खडे होंगे। शिक्षिका के सीटी बजाने पर ‘कङ्क गट सेविका ने ‘खङ्क गट की किसी भी सेविका के हाथ के बायें हाथ पर ताली देकर अपने स्थान पर वापस लौटना है। उस समय ‘खङ्क गट की सेविका ने ‘कङ्क को पकडने का प्रयत्न करना है। पकडे जाने पर ‘कङ्कने ‘खङ्क के पीछे जाकर खडे होना है। इस प्रकार दोनो गटोंकी सेविकाओं ने अपनी संख्या बढाने का प्रयास करना है। जो गट सभी सेविकाओं को अपने गट में सम्मिलित कर लेगा वह विजयी कहलायेगा।

दो दलों के खेल

१) राम रावण
मैदान में खींची गयी रेखा पर,  दो गण आमने-सामने मुंह करके खहे होंगे। दोनो दलों के नाम क्रमश: राम रावण होंगे। दलों के पीछे ५ कदम की दूरी पर एक-एक रेखा खींची रहेगी। शिक्षिका दलों के पास मध्य रेखापर खडी होकर राम अथवा रावण कहेगी। जिस दल का नाम लिया जायेगा उस दल की बहनें पीछे की और दौडेगी। दुसरा दल उसे पकडने का प्रयास करेगा। पीछे की और खींची गयी रेखा के भीतर पकडी जाने वाली बहनें पराजित कहलायेगी। जो दल अंत तक खेलेगा वह विजयी कहलायेगा।

२) खो दौड

समान संख्या वाले २ दल ५ कदम की दूरी पर आमने सामने खो की स्थिती में क्रम से बैठेंगो सीटी बजाते क्र. १ की खिलाडी दल के सामने से दौडकर पीछे से क्रमांक २ को खो देंगी। ऐसे ही २-३ को ३-४ को खो देंगी। अंतिम सेविका तति मको एक चक्कर लगाकर उसके पासवाली सेविका को अर्थात उलटें क्रम से ९-८ को ८-७ को खो देंगी । जिस दल का काम पहलें पूर्ण होगा, विजयी कहलायेगा।

३) रेलगाडी
  समान संख्या वाले दो या अधिक दल संपत रेखा से ८-१० कदम की दूरी पर पंक्ति बनाकर खडे होंगे। सीटी बजाते ही प्रत्येक दल की प्रथम सेविका संप रेखा को पैर से स्पर्श करके लौटेगी।  अब उसके पीछे क्र. २ की सेविका जुड जायेगी। अब ये दोनो वहीं क्रिया करेगी। फिर क्र. ३ की सेविका जुडेगी। ऐसे रेल के डिब्बों की संख्या बढती जायेगी। रेलगाडी ने वापिस अपने स्थान पर आकर पूर्ववत खडे होना है। पहले पहुचानेवाला दल विजयी होगा।

४) लंगडों की बारात
समान संख्या वाले दो या अधिक दल ध्वज की ओर मुंह करके खडे होंगे। दल की प्रत्येक सेविका अपना बाया पैर पीछे की ओर उठायेगी, तथा दाहिना हाथ आगे वाली सेविका के भुजा पर रखेगी। प्रत्येक सेविका ने अपने बायें हाथ से सामनेवाली सेविका का बाया पैर पकडना है। इस प्रकार बनी लंगडोंकी बारात निश्चित स्थान तक जा कर वापस आयेगी। पहले पहुंचने वाला दल विजयी होगा।

५) कंकड उछालो
शिक्षिका के छ: कदम की दूरी पर दो दल संख्या में आमने-सामने खडे होंगे । दोनो दलों के बीच पाच कदम का अंतर रहेगा। सभी सेविकाओंने हाथ में छोटा कंकड पकडना है। पहली सीटी पर कंकड को उछालना प्रारंभ करना है तथा दूसरी सीटी पर रूकना है। जिनके हाथ से कंकड नीचे गिरेगा वह पराजित होगी। अंत तक खेलनेवाली सेविका विजयी कहलायेगी।

६) घर बचाओ घुसपैठी भगाओ
समान संख्या वाले मैदान में खींचे गयें मंडल के भीतर बाहर खडे होंगे।  शिक्षिका के नारे लगाने के पश्चात सीटी बजायेगी। तब बाहर वाली सेविकाओं ने एक-एक करके घुसपैठियोंको मंडल के बाहर निकाल कर मंडल में प्रवेश कर के घर को स्वतंत्र करना है। जीतने पश्चात जयघोष होगा।

७) भूतगली
दो पंक्ती बनाकर आमने सामने खडे होना है | इस प्रकार भूत गल्ली तयार होगी | इस गली से एक एक सेविका दोडते हुए जाएगी उस समय गली के सभी भूत जोर से उनको पीठ पर मारेंगे | हर एक सेविका ने एक बार तो भी गली से जाना है |
दुसरो को मारते समय और स्वयम मार खाते समय सहनशक्ती बढती है |
 
८) सुंदरभाई मुद्दूभाई
दो पंक्ति में आमने सामने एक रेखा पर खडे होंगे | शिक्षिका बीच मे से जाते हुए सुंदर सुंदर सुंदर भाई कहेगी तो सेविका मुद्दू मुद्दू मुद्दू भाई बोलेंगी|
अंत में शिक्षिका के सुंदर भाई कहने पर सुंदर भाई दौडेगे मुद्दूभाई उनको पकडेंगे, मुद्दूभाई कहने पर मुद्दूभाई दौडेंगे सुंदरभाई उनको पकडेंगे |जिनसें पकडे जायेंगे उनके दल में
संम्मीलीत होंगे |
जिस दल की संख्या बढेगी वह दल विजयी कहलायेगा |
 
९) डमरू दौड(अंग्रेजी का आठ बनाना )
आमने सामने खडे दो दल | सिटी बजते ही दोनो दलो की पहिली सेविका रुमाल लेकर दोडते हुए डमरू (या अंग्रेजी का आठ )बनाकर अपने साथ वाली सेविका को रुमाल देगी इस प्रकार क्रमशः सब दौडेगी |जिस दल की अंतिम सेविका दौड पुरी करके अपना रुमाल शिक्षिका को पहले दे देगी वह दल विजयी होगा |
 
१०) शक्ती परिचय
दोनो दल की सेविकाये आगे पीछे एक दुसरे की कमर पकडकर शृंखला बनायेंगे | शुरु की दो सेविकाये एक दुसरे का हाथ (या दंड) पकडेंगे |दुसरे दल को खीच कर अपनी और ले आने वाला दल विजय होगा |
 
११) रस्सी खेच
पूर्व खेल की भांती मोटे तथा लंबे रस्सी के मध्यबिंदू पर बंधे रुमाल को निर्धारित दूरी(1.5- 2.00 मीटर ) तक अपनी और खीचने वाला दल विजय होगा |
 
१२) दंड त्रिकोण
दो - तीन दल,प्रत्येक के संम्मुख तीन दंड एक दुसरे के सहारे टीका कर त्रिकोण बनायेंगे | सिटी बजने पर हर दल की पहिली खिलाडी अपने हाथ में एक दंड( या रुमाल )लेकर दौडते हुए सावधानी से इस त्रिकोण मे से जायेगी तथा वापीस आकार दंड (या रुमाल )अपने साथी को देगी यही क्रिया दुसरी और फिर क्रमश:सभी करेंगी |अपना काम पहिले पूरा करने वाला दल विजय होगा| यदि किसी खिलाडी की असावधानी से वह त्रिकोण गिरता है तो वह स्वयं ही उसे बनायेगी तब वापीस आकर अगले खिलाडी को दंड या रुमाल देगी |
 
बौद्धिक खेल
 
१ कानपुर* *नागपूर* *पंढरपूर
शिक्षिका के कानपुर कहनेपर दोनों हातों से कान पकडना |
नागपूर कहने पर नाक पकडना
पंढरपूर कहने पर दोनों हाथ कमर पर रखना |
शिक्षिका मुहं से जो बोलेंगी वह कृती करना | जो बहने गलत कृती करेगी वह खेल के बाहर होगी, जो बहन खेल के अंत तक रहेगी वह विजयी होगी |
 
२) अयोध्या मथुरा काशी
उपरी खेल के अनुसार ही शिक्षिका के अयोध्या कहने पर धनुष्य बाण खीचने की कृती, मथुरा कहने पर बन्सी बजाने की कृती, काशी कहने पर नटराज की कृती करनी है |
 
३) सेब खाओ
शिक्षिका के
1. कहने पर फल पेड से तोडने की कृती |
2. पर फल धोने की कृती |
3. पर फल पोछने की कृती |
4. कहने पर सेब खाने की कृती |
 
४. *इडली* *वडा* *डोसा*
शिक्षिका के इडली कहने पर हाथ अर्धमंडलाकार घुमाना |
वडा कहने पर ताली बजाना |
डोसा कहने पर तवे पर डोसा बनाने की कृती करना |
 
५) *फल* *फुल* *सब्जी*
सभी मंडलाकार खडी होंगी |
एक सेविका मंडल के अंदर फल फुल सब्जी, फल फुल सब्जी ऐसा बोलते हुये घुमेगी और अचानक किसी के सामने खडी होकर फल /फुल /सब्जी
इन तीनो नाम में से कोई एक नाम लेकर पूछेगी, सामने वाली सेविका ने तुरंत उत्तर देना है, यदि वह उत्तर न दे पायी तो वह राज देगी |
 
६) *स्वामीजी* *नेताजी*
    *गांधीजी* *मौसीजी*
 
सभी मंडलाकार खडी रहेंगी |
शिक्षिका सेविकाये
स्वामीजी हाथ सीने पर बांधना
नेताजी हाथ माथे पर, सलामी
गांधीजी हाथ में दंड लिये हुये
मौसीजी प्रणाम की स्थिती
 
७) *शब्दांकित शब्द*
 
मंडल मे सेविकाये घोषणा देते हुए दौड़ेंगी शिक्षिका गणित खगोल या इतिहास की जानकारी देने वाले शब्द कहेगी जिससे अंक बोध होगा उस आधार पर उतनी संख्या मे सेविकाओने गण बनाने है जिस गनमे संख्या कम होगी वे सभी सेविकाये बाद होंगे फिर से खेल प्रारंभ होगा खेल के बीच बीच में शिक्षकाने कुछ प्रश्न पूछ कर अपने देश की महकता का परिचय देना है उदाहरणार्थ वेदों के क्रम से नाम बताइये|
नयन - 2 वसुपुत्र - 8
त्रिगुण - 3 ग्रह - 9
वेद - 4 अवतार - 10
पांडव, तत्व - 5 रस - 6/9
ऋतू - 6 ज्योतिर्लिंग - 12
ऋषीमंडल - 7 ज्ञान/कर्मेद्रीय - 5
 

सर्व श्रेष्ठ की विजय
 
सेविकायें संपत रेखा से ५-६ कदम दूरी पर खडी होंगी। एक सेविका बिल्ली बनकर संपत रेखा पर ध्वजाभिमुख हो कर को की स्थिती में बैठेगी। शिक्षिका, दोनों के मध्य में एक ओर खडी होंगी।

शिक्षिका                                      सेविका
हाथ से अभिनय करते हुए कहेगी दंडबैठक निकालते हुए सेविकायें
छोटे चुहें बडे चुहें   कही ट्याँव ट्याँव, उपरी कृति को बडी सेविकाओंने करते हुए दोहराना है।
खिडकी में देखो   बैठो बिल्ली (बिल्ली की ओर हाथ दिखाते हुए)
हमारी ओर    नहीं देखती, नहीं देखती(कैची के आकार में हाथ हिलाते हुए)
कूदो धब धब   पैरों के पंजों पर कूदते हुए दो कदम आगे बढना है।
शिक्षिका के ‘कूदो धब धब ङ्क ऐसे कहने पर सेविकाओंने कूदते हुये बिल्ली बनी सेविका के निकट पहुँचना है। जब चुहे बिल्ली के निकट पहुचेंगे तब बिल्ली उनपर झपटकर उन्हें पकडेंगी। पकड में आनेवाली  सेविकायें पराजित होंगी। अंत तक जीवित रहनेवाली सेविका विजयी कहलायेगी।

साधनयुक्त खेल
१) दंड आगे बढाओ
एक से अधिक समान संख्या वाले गण सामने की ओर मुंह किये पैरों को फैला कर खडे होंगे। गणों की अग्रेसरिकायें झुक कर दंड को स्वयं के पैरों के बीच से सर्प गति के साथ पीछे की ओर बढायेगी। अंतिम सेविका ने उस दंड को लेकर दौडते हुए आगे की ओर आ कर पंक्ति में खडे होकर दंड को फिरसे उसी प्रकार पीछे की ओर बढाना है। जिस गण की प्रथम सेविका दंड का लोकर पंक्ति में अपने स्थान पर सब से पहले आकर खडी होगी वह गण विजयी कहलायेगा। (दंड को उपर, दायी या बायी ओर से आगे बढाते हुये २-३ से खेला जा सकता है।)

२)अग्नि दंड
सब सेविका मंडल में अंदर की ओर मुंह करके खडीं होंगी। शिक्षिका खो की स्थिती में नीचे बैठ कर दंड को तेजी से मंडल की परिधि पर घुमायेंगी, उस समय सेविकायें बचनें के लिये उपर उछालेंगी। जिसे दंड का स्पर्श होगा, वह भस्म होगी।अंत तक खेलनेवाली सेविका विजयी कहलायेगी। (दंड को दिशा बदलकर भी घुमाया जा सकता है। )


२) डाकिया
सभी सेविकायें मंडल में ताली बजाते हुए बैठी रहेगी। गण के बाहर खडी ‘कङ्क सेविका मंडल की परिक्रमा करते समय किसी एक सेविका के पीछे रूमाल रखकर आगे जायेगी। यदि ‘खङ्कसेविका के रूमाल देख लेने पर वह उस रूमाल को लिये ‘कङ्क सेविका को पकडने के लिये दौडेगी। पकड में आ जाने पर पीटते हुए ‘खङ्क सेविका के स्थान पर बैठ जाने पर ‘खङ्क ने खेल को पुन: प्रारंभ करना है।
 
 *प्रतियोगिता खेल*
जितने गण बनेंगे उतने गणो में खेलना है |
1. दौड प्रतियोगिता
2.लंगडी प्रतियोगिता
3.विठ्ठल कुद प्रतियोगिता
4.मेंढक चाल प्रतियोगिता
5.उलटा दौडना प्रतियोगिता