रा. से. स. विजयादशमी उत्सव , प्रमुख संचालिका भाषण

Rashtra Sevika Samiti    15-Oct-2018
|
 

विशिष्ट प्रक्रिया से जीवन बनाना यही समिति कार्य - शांताक्का


आज सरस्वती आवाहन दिन तथा पूजनीय डॉ. आंबेडकर जी ने दिनांकश इसी दिन बौध्दमत का स्वीकार किया है | सरस्वती माता पवित्रता, शुद्धता का प्रतिक है, अत: वह श्वेतवसना है |श्वेत रंग शुद्धता का धोतक है | राष्ट्र का विकास सकारात्मक दिशा में होने के लिये प्रत्येक व्यक्ति का मन शुद्ध होना आवश्यक है | पूजनीय आंबेडकर जी का मन भी शुद्ध - शुभ्र था इसीलिये उन्होंने हिन्दू जीवनमुल्योंपर आधारित बौध्दमत का अपने सैकड़ों बांधवों के साथ इसी नगर में स्वीकार किया | राष्ट्रीय विचारधारा के लोग राष्ट्रहीत दृष्टि से ही सोचते है | राष्ट्र सुचारूरूपे चले इसीलिये बुध्दि, धन तथा बाहु शक्ति इन तीन शक्तियों की आवश्यकता होती है | ये तीनों शक्तियाँ पवित्र मन के लोगों के सान्निध्य में रहती है और उनके कारण ही राष्ट्र सकारात्मक उर्जावान बनता है | अपने राष्ट्र में तीनों शक्तियाँ का अर्थात् प्रतिनिधित्व सरस्वती - लक्ष्मी - दुर्गा के रूप में महिलायें करती है | महिलाओं के अंतर्निहित इस शक्ति को पहचानते हुएं वं. मौसी जी ने १९३६ में विजयादशमी के पवित्र दिन पर राष्ट्र सेविका समिति की नींव रखी | भारत देश नवनारी रत्नों से समृद्ध देश है | संत मीराबाई उनमें से ही एक है | कृष्णशक्ति का पवित्र संकल्प लेकर अपना जीवन भगवान के चरणों में समर्पित किया | आज संजोग है की अध्यक्षा मीराबाई चानू खेल के माध्यम से (भक्त बनकर) भारतमाता की कीर्ति देश विदेशों में फहरा रही है | उन्होंने अपने जीवन में न दैन्यं न पराभव इस श्रध्दासे जीवन बिताते हुएं युवाओं के मन में आत्मविश्वास निर्माण करते हुएं विनय का मार्ग दिखाया है | उनका जीवन अर्थात् सामान्य में से असामान्यत्व का प्रकटीकरण करनेवाला जीवन है | 'मीराबाई चानू' -सामान्य पत्थर पर प्रक्रिया करते हुएं वह अनमोल रत्न बन गयी | सामान्यत्व से असामान्यत्व का प्रकटीकरण, एक विशिष्ट प्रक्रिया से जीवन बनाना यही समिति कार्य है |


मूल जीवनशैली सुरक्षित रखें

आज की सामाजिक परिस्थिति में असामान्य कार्यों की आवश्यकता प्रतीत होती है | अहितकारी विचारों के ऊपर हितकारी विचारों का विजय हो | आज का युग बौद्धिक, वैचारिक संघर्ष का भी युग है | शहरी माओवादी विचारों के कारण आज केरल में वनवासी बांधवों को अपनी सहज जीवनशैली छोड़कर समाजघातक कार्य करने के मार्ग पर चलना अनिवार्य हो रहा है | यह केवल केरल के लिए नहीं देश के लिए बहुत बड़ा धोखा है | यह समझकर केरल की एक सामान्य वनवासी महिला 'लक्ष्मी कुट्टी' वहाँ की जीवनशैली बचाने के कार्य में जुट गयी है | सहज स्वाभाविक जीवनशैली बिताने की प्रेरणा जगाने हेतु उसमे ५०० हर्बल औषधी तैयार की है | सांप, बिच्छु,विषयुक्त कीड़े काटने से अपने पूर्वपध्दतीपर निर्भर ऐसे उपचार करने की पध्दति भी चालू की है | हर्बल औषधियों के माध्यम से लोगों को उपजीविका का साधन प्राप्त हो रहा है तथा कुछ लोग अपने मूल जीवन शैली की ओर मुड़कर आ रहे है | इसी कारण लक्ष्मी कुट्टी को 'पद्मश्री' पुरस्कार प्राप्त हुआ |


विश्वकल्यानार्थ भारत को समर्थ बनायें

आयडॉलॉजिकल (विविध जीवनसिध्दांतों का) संघर्ष चिंताजनक है | भारत का मूल हिंदू चिंतन-एकात्म भाव है | आज उसके विरोध में जातीयता के कारण भारत में विघटन हो रहा है | हिन्दू जीवनशैली, हिन्दू जीवनमूल्यों के विरोध में विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं का ब्रेनवाश हो रहा है| अलीगढ़ या कश्मीर विद्यापीठों में युवाओं को दिग्भ्रमित कर राष्ट्रविरोधी तत्वों के चुंगल में फसाया जा रहा है | भारत का

भविष्य जिनके हाथों में है ऐसी युवाशक्ति को राष्ट्रीय धारा से तोड़ने के दृष्ट प्रयत्न देशभर हो रहे है, वे अत्यधिक हानिकारक है , हमें कार्य की गति बढ़ानी चाहिये हमारी युवापीढ़ी हमारे मूल से चिंतन से जुडी रहें इस हेतु हम सतत प्रयत्नशील रहें | विश्वकल्याण हेतु हिंदूधर्म , संस्कृति तथा भारत को सुशक्त , समर्थ बनाना अनिवार्य है |

स्वतंत्रता तथा स्वच्छदता का अंतर हम समझ लें

वामपंथी नक्षलियो के गतिविधियों के कारण छत्तीसगढ़ राज्य के कोंडागाव जिले में हडेलीगाव में विद्यार्थियों में शिक्षा की व्यवस्था नही थी | युवक अलग रास्ते से जा रहे थे | आय.टी.वी.पी. के जवान आगे बढे वे उन लोगों को शिक्षा देकर राष्ट्रभक्ति से ओतग्रोत नागरिक निर्माण करने का कार्य कर रहे है | इस तरह के सकारात्मक कार्यों में बाधा डालने हेतु वामपंथी बुध्दिजीवी प्रयासरत रहते है | सलवाजुहुम का एक उदहारण - भारत में अस्थिरता निर्माण करना तथा एकात्मता खंडित करना यही उनके अग्रकम में था | भारत की आतंरिक सुरक्षा दृष्टी से पाच वामपंथी बुध्दीजिवियों की गिरफ़्तारी पर मिडिया, सोशल मिडिया से लेकर लोगों की जो प्रतिक्रियायें है आधी उससे में सवाल उठता है | पश्चिमी बंगाल के इस्लामपुर की एक घटना वहाँ कह संस्कृतिपर जबरदस्त हमला है वह | शासन तथा प्रशासन लोगों ने बहुसंख्यक बंगलाभाषी लोगों पर उर्दू भाषा को थोपने की कोशिश की है | इसे विरोध करनेवालों की पिटाई की गयी . हत्या भी हो रही है | बंगलाभाषीयों के इस अधिकार हनन के समय मानवाधिकार मौन क्यों ? यह प्रश्न मन को झकझोरता है | स्वतंत्रता का हक चलाने के दृष्टी से न्यायालयों में कोई भी विषय लेकर याचिका प्रस्तुत करते है | न्यायालयीन निर्णय का सम्मान करना भी महत्वपूर्ण है | याचिका देनेवालों को भी भारत की परंपरा तथा नैतिकमूल्यों का संरक्षण करने की दृष्टी से विचार करना चाहिये | स्वतंत्रता तथा स्वच्छतता में अंतर है उसे समझकर समाज की शक्ति को योग्य दिशा देने से राष्ट्र का भविष्य उज्वल होगा | मर्यादित शक्ति के माध्यम से समिति यही कार्य कर रही है | आसुरी विचारों के उधर विजय प्राप्ति हेतु अपने अपने संकुचित को लाधते हुए कार्यरत होगें , दैवी विचार सदविचार दूर दूर तक फैलायेंगे|