देवी अष्टभुजा स्तोत्र

Rashtra Sevika Samiti    17-Jul-2023
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देवी अष्टभुजा स्तोत्र
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नमो अष्टभुजे देवि लक्ष्मी पार्वति शारदे।
बुद्धि वैभव दो मातर् हमें दो शक्ति सर्वदे।।१।।
 
शील रूपवती नारी तेरी ही प्रतिमा बने।
धर्म संस्कृति रक्षा से धन्य भारत को करें।।२।।
 
सुगंधित सुवर्णाभ सुकोमल सरोज जो।
हस्त में धृत देता है पाठ निर्लेप तुम बनो।।३।।
 
गीता प्रदीप जो देता विश्व को ज्ञानचेतना।
कर में स्थित है तेरे स्नेहले अम्ब मंगले।।४।।
 
शील चारित्र्य की होवे आभा प्रसृत पावनी।
अग्निकुण्ड इसीसे है प्रदीप्त धृत हाथ में।।५।।
 
त्रिशूल है लिया मातर् दुष्ट संहार हेतु से।
खड्ग देवि लिया है जो सज्जनत्राण बुद्धि से।।६।।
 
विरागविक्रमों की जो फहराये नभ में प्रभा।
भगवा ध्वज है तूने हाथ में पकडा महा।।७।।
 
ध्येय का ध्यान ना भूले कार्य में रत हो सदा।
स्मरणी हाथ की देती हमें सन्देश सर्वदा।।८।।
 
घण्टानाद हमें देता नित्य जागृति वत्सले।
निद्रा आलस्य में खोवे अमोल क्षण ना कदा।।९।।
 
सिंहवाहिनी अम्बे तू जगाती जनसिंह को।
सटाओं से उठे सेना शक्तिसामर्थ्य दायिके ।।१०।।
 
सती तू पद्मजा तू है, तू है देवी सरस्वती।
परित्राणाय साधूनां काली माँ तू यशोमती ।।११।।
 
विनम्र भाव से देवि प्रणिपात सहस्रदा।
सेविकाएँ करें आशीष देहि देवि सुमंगले।।१२।।
 
सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।।१३।।
 
।।देवि अष्टभुजा की जय।।