सेवा सृष्टी

29 Jun 2023 17:05:15


भूमिका -

 राष्ट्र सेविका समिति के नाम को सेवा कार्य से यथार्थता प्राप्त होती है .
"सृष्टी के प्रत्येक अविष्कार मे ईश्वर तत्व है" इस भावना से पेड पौधे, पशुपक्षी सहित मनुष्य जगत के प्रति देखना यह भारतीय संस्कृती का स्वभाव है .अर्थात यह सृष्टी परस्पर संबंधित, परस्परावलंबी और एकही परमात्मा तत्व से जुडी है ऐसा भारतीय विचार है. किसी भी व्यक्ति की सेवा याने साक्षात परमात्मा की सेवा है  इसलिये राष्ट्र सेविका समिती में सेवा कार्य का अत्यंत महत्व है. मनुष्य की उन्नति का साधन सेवा है,  परमात्मा का दर्शन सेवा मे है ,समरसता की अनुभूती सेवा के कारण मिलती है ऐसी अनुभूती सेवाकार्य से जुडी सेविकाये लेती है"


 संपूर्ण समाज एक कुटुंब है इस भावना से समिती की सेविका सेवा कार्य करती है. अभाव, अकाल, अशिक्षा, अवहेलना ,अन्याय ,अनारोग्य आदि पिडासे मुक्त करके समाज को स्वावलंबी- आत्मनिर्भर बनाना यह सेवा कार्य का लक्ष्य है| कृत संकल्प होकर राष्ट्र सेविका समितीने विभिन्न प्रकल्पों द्वारा सेवा सृष्टी की रचना पूरे भारतवर्ष मे की है|


समिती का सेवा कार्य मुख्यतः दो विभागों मे चलता है

१)  स्थाई सेवा प्रकल्प -. इसमे छात्रावास, उद्योग मंदिर, शिलाई - बुनाई केंद्र, योग केंद्र ,संस्कार वर्ग आदी आयाम है
 २) अस्थायी सेवा प्रकल्प- इसमे नैसर्गिक आपत्तीग्रस्त पीड़ितों की सहायता करने का कार्य आता है. चक्रवात , भूकंप अथवा करोना जैसी महामारी के समय सेवा सहायता केंद्र चलाये जाते है.


* समिति के द्वारा शाखा और प्रतिष्ठान के माध्यम से सेवा  प्रकल्प का निर्माण किया जाता है .आज देश मे ६४  प्रतिष्ठान है और प्रत्येक प्रतिष्ठान सेवा प्रकल्प से जुडा है.


सेवा कार्य का विवरण -

 राष्ट्र सेविका समिति के कुछ प्रमुख प्रतिष्ठान और स्वयंसेवी संस्था

 1) देवी अहल्याबाई स्मारक समिति नागपुर – यह भारत की वनवासी लड़कियों के लिए नि:शुल्क छात्रावास है। एक प्री-नर्सरी स्कूल, होम्योपैथिक और आयुर्वैदिक चिकित्सा व्यवस्था के अलावा स्वदेशी वस्तु भंडार भी चलाया जा रहा है।

2) संघमित्रा सेवा प्रतिष्ठान, नागपुर -संघमित्रा  सेवा प्रतिष्ठान यह राष्ट्र सेविका समिती प्रेरित है और 1992 से कार्यरत है। अपने अंतिम श्वास तक समिती कार्य यही अपना जीवित कार्य मानने वाली प्रचारिका ,उनकी व्यवस्था की दृष्टिकोन से यह प्रतिष्ठान की स्थापना की गयी। देवी अहल्या मंदिर धंतोली, नागपूर यहा प्रतिष्ठान का कार्यालय है। 2004 से 2014 इस कालखंड मे पूर्वांचल ,बस्तर और महाकौशल इन प्रांतो मे आरोग्य सेविका प्रशिक्षण वर्ग चलाये गये ।इस माध्यम से 120 आरोग्य सेविका प्रशिक्षित हुई ।जनहितकारी समिती, नागपूर इनके सहयोगसे प्रतिष्ठान 2015 से नागपूर ग्रामीण मे बच्चो के लिये संस्कार वर्ग चलाते है ।प्रतिष्ठान द्वारा प्रशिक्षित 24 शिक्षिका 12 गावो मे संस्कार वर्ग चला रही है। जीससे अभी तक 400 विद्यार्थी संस्कारित हुए।।  महिला पौरोहित्य वर्ग यह प्रतिष्ठान का एक वैशिष्ट्यपूर्ण उपक्रम है।प्रशिक्षण के साथ साथ नागपुर के विभिन्न भागो में अनेक धार्मिक पूजा कार्यक्रम किये जाते है| कामठी के नजदीक आजनी यह  छोटे गाँव मे महिलाओं के बटवे, पेटीकोट ,थैलीया आदी सिलने का प्रशिक्षण प्रमिल लक्ष्मी कला केंद्र के माध्यम से दिया जाता है ।सुंदर कला के साथ साथ महिलाओं को आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने का यह महत्वपूर्ण कार्य है।

अपनी कला कौशल से अलग पद्धतीसे मार्गक्रमणा कर समाजोपयोगी कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित करने का निश्चय प्रतिष्ठान ने किया। तदनुसार 2006 साल से समिति की प्रथम प्रचारिका माननीय सिंधुताई फाटक की स्मृति में यह सिंधू सम्मान समारोह का आयोजन हर वर्ष किया जाता है ।इसके साथ साथ प्रतिष्ठान की और से राष्ट्रीय विचारों का संस्कारप्रद साहित्य प्रकाशित किया जाता है ।हर वर्ष प्रकाशित होने वाली दिनदर्शिका ,छोटी दैनिकी ,राष्ट्र सेविका अंक तथा अनेको समिती कार्य मे उपयुक्त पुस्तकों का प्रकाशन प्रतिष्ठानसे किया जाता है ।गत वर्ष 2022 में अखिल भारतीय महिला चरित्र कोष का प्रथम खंड  प्रकाशित हुआ।यह प्रतिष्ठान के लिए गौरवपूर्ण कार्य रहा।। प्रतिष्ठान की और से कोरोना के महामारी के दौरान सेवा वस्ती में गर्भवती महिला तथा बच्चों को प्रोटीन पाउडर के पैकेट दिये गये। उसी समय प्रसूत हुई महिलाओं के लिये तथा उनके छोटे बालकों के लिये उपयुक्त औषधी,कपडे इनके किट्स बनाकर अनेक सेवा वस्ती मे  वितरण किया गया,जिससे काफी परिवार लाभान्वित हुए।। 

3) श्री शक्तिपीठ - नागपुर,  (महाराष्ट्र)

4) महिला कला निकेतन, नागपूर-  (महाराष्ट्र)
"राष्ट्रोत्थान के लिए नारी शिक्षा "यह उद्देश लेकर 1982 से महिला कला निकेतन यह संस्था नागपुर मे कार्यरत है | | यह राष्ट्र सेविका समिति का एक शैक्षणिक प्रकल्प है | समिती की संस्थापिका वंदनीय लक्ष्मीबाई उपाख्य मौसीजी केळकर का विचार था  की , राष्ट्रनिर्माण मे शिक्षक ,लेखक, वक्ता तथा नेता की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है  | वे चाहे तो योग्य दिशा मे समाज को मोड सकते है | इसी विचार को ध्यान मे रख कर महिला कला निकेतन मे महिलाओं को उत्तम प्रशिक्षण देकर आत्मविश्वासपूर्ण तथा आत्मनिर्भर बनाया जाता है |  इसके लिए संस्थाद्वारा राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपूर विद्यापीठ द्वारा मान्यता प्राप्त दो पाठ्यक्रम चलाये जाते है |  अभी तक इस प्रकल्प द्वारा 1000 से ज्यादा महिलाये लाभान्वित हुई हैं |

नियमित उपक्रम -

   

5) देवी अष्टभुजा मंदिर धंतोली, वर्धा   (महाराष्ट्र)

स्थापना 1972 , वं. मौसीजीकी प्रमुख उपस्थितीमे हुई .,ट्रस्टके कार्यक्रम का शुभारंभ  वं.मौसीजीके प्रवचनसे हुवा था| अष्टभुजा मंदिर मे अथर्वशीर्ष पठन,श्रीसुक्त पठन,श्री गजानन विजय ग्रंथ पारायन,हरी पाठ पठन ,शिवलिलामृत  पठन, कृष्णजन्म,दहीहंडी,गोपालकाला,रामायण प्रवचन, ग्रिष्मकालीन बालसंस्कार केंद्र, संक्रान्तीका हलदिकुंकू, सेवा वस्तीमे जाकर मनाते है| वृद्धाश्रममे जाकर उनके साथ समय बिताते है। करोनामे सबको मदद दी,प्रोटिन पावडर का मोफत वितरन किया.

6) वं लक्ष्मीबाई केलकर स्मृति प्रतिष्ठान,चंद्रपुर (महाराष्ट्र)

आदिवासी, नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं को स्वावलंबी और सुरक्षित रखने के लिए चंद्रपुर निवासी राष्ट्र सेविका समिति द्वारा  लड़कियों के लिए निवासी छात्रावास की नींव 2005मे रखी गई।वं लक्ष्मीबाई केलकर स्मृति प्रतिष्ठान स्थापित किया गया।दुर्लेक्षित इलाके की बहनों को स्वावलंबी, शिक्षा हेतु से प्रेरित होकर समिति के विविध आयाम, संस्कृति, संस्कार देने नींव रखी गई।मैत्रेयी  छात्रावास की वास्तु खड़ी हुई। मैत्रेयी छात्रावास में स्वावलंबी शिक्षा, संस्कृति, संस्कार, आत्मसुरक्षा प्रति सभी छात्रों को प्रशिक्षण दिया जाता है। वैचारिक,भावनिक तौर से उनका विकास करना,नयी दृष्टि से समृद्ध करनें कार्य प्रतिष्ठान की और से किया जाता है।छात्रावास की छात्राएं समाज में हमेशा अग्रेसर होती है। उनके हुनर आत्मविश्वास बढ़ाने में सहायक होता है। सामाजिक प्रवाह में हमेशा अग्रेसर होती है गत दस साल में अनेक छात्र पोस्ट,पोलिस, वकील, शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं। 

7) तेजस्विनी  कन्या  छात्रावास, यवतमाल (महाराष्ट्र)

ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों को सशक्त बनाने और उनमें अपने देश के प्रति प्रेम जगाने के उद्देश्य से तेजस्विनी  कन्या  छात्रावास की शुरुआत की गई ।बालिकाओं की शैक्षिक स्थिति में सुधार हेतु सतत गतिविधियाँ, बालिकाओं को सिलाई, कढ़ाई एवं शिल्प कौशल में प्रशिक्षित करना, समिति की दैनिक शाखाओं के माध्यम से देशभक्ति की भावना जागृत करना, ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण करना, ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं को समझना, महिलाओं की सहायता करना वहां के परिवारों को जरूरी सामान मुहैया कराना, लघु उद्योग शुरू करना. कोरोना काल में सभी ऑटो रिक्शा चालकों और पुलिस बल को चौक चौक में काढा वितरण किया गया.

8) भारतीय स्त्रीजीवन विकास परिषद, ठाणे  (महाराष्ट्र)

9) गृहिणी विद्यालय, माहिम  (महाराष्ट्र)

10) उज्वल मंडलकल्याण  (महाराष्ट्र)

माहिम और कल्याण के केंद्रों में वनवासी महिलाओं को नर्सिंग का  निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। अनेक वनवासी बहनें यहां से प्रशिक्षण लेकर आज अनेक अस्पतालों में नर्स हैं। इनमें से कई अपने गांवों में वापस जाकर रोगियों की निशुल्क सेवा करती हैं ।

11) तेजस्विनी सेवा प्रतिष्ठान, बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की अनाथ बालिकाओं के लिए निशुल्क छात्रावास और पढ़ाई की व्यवस्था समिति व्यापक स्तर पर करती है।कुष्ठ रोगियों की स्वस्थ बालिकाओं के लिए बिलासपुर के छात्रावास में विशेष व्यवस्था की गयी है। जहां इनके माता-पिता का इलाज कराया जाता है और प्रतिष्ठान की ओर से इन्हें जीवन की उम्मीद भरी राह दिखायी जाती है।

 12) यशस्विनी कन्या छात्रावास, रायपुर(छत्तीसगढ़)

यशस्विनी कन्या छात्रावास, रायपुर में नक्सली हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों की लड़कियों को जीवन की नयी आशा दी गयी। वैसी लड़कियां जो अपने माता-पिता को खो चुकी हैं, वो लड़कियां नए सिरे से अपना जीवन शुरू कर चुकी हैं।

13) शिशु ज्ञान मंदिर, जबलपुर (मध्यप्रदेश)

 मध्यप्रदेश के जबलपुर में शिशु ज्ञान मंदिर में छात्र-छात्राओं को नाममात्र की फीस में पहली कक्षा से दसवीं तक  अच्छी शिक्षा दी जा रही है।

 14) लक्ष्मीबाई केलकर स्मारक समिति, कोलकाता (प. बंगाल)

बंगाल और पूर्वोत्तर भारत में भी समिति अनेक संस्थाएं चल रही है। कोलकाता में लक्ष्मीबाई केलकर स्मारक समिति के छात्रावास में गरीब लड़कियों को निशुल्क  पढ़ाया जा रहा है।

15) पूर्वोत्तर भारत

पूर्वोत्तर भारत में हॉफ लौंग और गुसाईं गांव, गुवाहाटी, तेजपुर और सिलचर में पिछले 12 वर्ष से वनवासी लड़कियों को
 छात्रावासों में रख कर मुफ्त शिक्षा दी जा रही है।

 16) सरस्वती सेवा समिति, सिलचर(असम)

 सिलचर के चेकरचाम में सरस्वती सेवा समिति के छात्रावासों में उन इलाके की लड़कियां ज्यादा हैं। जिनके परिवार बांग्लादेशी घुसपैठियों की हिंसा का शिकार हुए हैं। समिति द्वारा उन परिवारों की महिलाओं को आत्मरक्षा के साथ-साथ स्वावलंबी  भी बनाया
जाता है।
 
17) विश्वम्भरा सेवा न्यास, फरीदाबाद (हरियाणा )

विश्वम्भरा सेवा न्यास, फरीदाबाद, हरियाणा में उन बच्चों को पढाई दी जा रही है जो अपने परिवार की कमजोर आर्थिक स्थितियों के कारण स्कूल नहीं जा पाए हैं। ये बच्चे दिन में अपना कामकाज करते हैं और शाम को 4 बजे से 6 बजे तक विश्वम्भरा सेवा न्यास में पढ़ने आते हैं। इन्हें वो वरिष्ठ नागरिक  पढ़ाते हैं जो समाज सेवा में रुचि रखते हैं। इन बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ भारतीय संस्कार भी दिए जाते हैं।

18) जिजामाता सेवा न्यास, करनाल और बाल संस्कार केंद्र, रोहतक(हरियाणा)

19) सरस्वती सिंधु न्यास जालंधर (पंजाब)

सरस्वती सिंधु न्यास जालंधर में लद्दाख के पिछड़े और दुर्गम क्षेत्रों की लड़कियों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है।

20) माता गुजरी चैरिटेबल ट्रस्ट, पटियाला (पंजाब)

माता गुजरी चैरिटेबल ट्रस्ट, पटियाला में हिमाचल प्रदेश और पूर्वोत्तर क्षेत्रों की लड़कियों के अलावा बिहार के पिछड़े इलाकों की कुछ लड़कियों को फ्री शिक्षा आवास और भोजन की सुविधा दी जा रही है।

21) अदिती सेवा प्रतिष्ठान, जम्मू 

अदिती सेवा प्रतिष्ठान, जम्मू  में राज्य के आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों के परिवारों की लड़कियों को मुफ्त आवास और भोजन व्यवस्था की गयी है और विद्या भारती के स्कूलों में मुफ्त में शिक्षा प्रदान की जाती है।

22) श्री शक्ति प्रतिष्ठान, कर्णावती, अहमदाबाद (गुजरात)

इस केंद्र में उद्योग, सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण के अलावा गर्भ-संस्कार सिखाए जाते हैं। गर्भवती महिलाओं को उत्तम संतान के लिए गर्भ संस्कार दिए जाते हैं। यहां भीषण गर्मी के दिनों में मुफ्त छाछ भी बांटी जाती है।

23) समर्थ सेवा न्यास, जयपुर (राजस्थान)

समर्थ सेवा न्यास, जयपुर में सिलाई केंद्र, चिकित्सा केंद्र, संस्कार केंद्र के अलावा सपेरों की बस्ती के बच्चों को मुफ्त शिक्षा और दोपहर का भोजन दिया जाता है।

24) सुकृपा ट्रस्ट और शारदा कन्या छात्रावास , बेंगलुरु (कर्नाटक)

सुकृपा ट्रस्ट और शारदा कन्या छात्रावास , बेंगलुरु में राज्य के अभावग्रस्त परिवारों की लड़कियों के आवास, भोजन और शिक्षा की निशुल्क व्यवस्था की गयी है।

24) मंगेर मंगलम और तेजस्वी कन्या छात्रावास, चेन्नई (तामिलनाडु)

मंगेर मंगलम और तेजस्वी कन्या छात्रावास, चेन्नई में सुनामी से हजारों-लाखों बेघर लोगों के अनेक अनाथ बच्चों की तरफ समिति ने प्यार का हाथ बढ़ाया और उनके रहने, खाने और पढ़ने का इंतजाम किया है।

अखिल भारतीय प्रतिष्ठान सूचि
 
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